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अभिशाप - एकांकी

आर एस तोमर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :48
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16829
आईएसबीएन :9781613017647

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भारतीय ग्रामीण समाज पर एकांकी नाटक

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लेखक की क़लम से....



यह ‘अभिशाप’ एकांकी नाटक कई दशक पूर्व लिखा गया था। इस विषय पर उपन्यास भी लिखने का इरादा था। परन्तु किसी कारण से लिख न सका। इसे कई एक अखिल भारतीय नाट्य प्रतियोगिता के मंच पर मंचन किया गया है। अक बार अन्तर्राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव में भी इस नाटक का मंचन किया गया है। कई बार इस एकांकी नाटक के लेखक को एवार्डेड किया गया है। भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों की अनेक संस्थायें नाट्य प्रतियोगितायें, महोत्सव कराती रही हैं। प्रतियोगितायें कराने वाली संस्थायें प्रतिभागी संस्थाओं को प्रस्तुति हेतु एक घन्टे का समय देती हैं। उसी एक घन्टे के अन्दर मंच पर सेट लगाने, मंचन करने और सेट हटाने का समय दिया जाता है। प्रतियोगिता की सारी बातों को ध्यान में रखकर इस 'अभिशाप' एकांकी नाटक को लिखा गया है। इसमें प्रत्येक पात्र को अभिनय दिखाने का पूरा मौका है। करेक्टर के साथ ईमानदारी से मेहनत करने वाले एवार्डेड हुये हैं। लम्बा नाटक देखने वाले अब दर्शक नहीं रहे। ट्वेन्टी-ट्वेन्टी का जमाना आ गया। लाइफ फास्ट और बिजी हो गयी है। दर्शक समय निकालकर टी.वी. पर सीरियल इत्यादि देखता है या टाकीज में जाकर हाईलाइट मूवी देखता है। वर्तमान में कुछ कारणवश अखिल भारतीय नाट्य प्रतियोगितायें एक प्रकार से ठप हो गयी हैं। इसके कारण जो भी हों।

रंगमंच से जुड़े समस्त लोगों से मेरी प्रार्थना है कि इस सम-विषम परिस्थिति में गम्भीरतापूर्वक सोचे-समझें और निर्णय लें। नेट का जमाना आ गया है। अखिल भारतीय नाट्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये प्रत्येक प्रतिभागी को अपना समय, तन, मन और धन खर्च करना पड़ता है। वही समय, तन, मन और धन लगाकर, वही एक घन्टे का नाटक खूब जमकर रिहर्सल करके विधिवत शूट करवाइये और यू ट्यूब पर डाल दीजिये। इसका रिज़ल्ट पाजिटिव ही आयेगा।

मेरी भारतवर्ष के रंगमंच से जुड़े लोगों के प्रति नेक सोच है। मेरे विचार से यदि आप लोग सहमत हों तो करियेगा। अन्यथा मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। मेरे इस नाटक पर फ़िल्म बनाने का आफर भी मिला है। परन्तु मन में प्रबल इच्छा है कि पुस्तक छपवाने के बाद ही ऐसे आफ़र स्वीकार करूँगा। इस नाटक के विषय को विस्तृत करके मनोरंजक चार्म पैदा करके आर्ट टेली या बड़ी फ़िल्म बनायी जा सकती है। इस सम्बन्ध में मैंने पूरी तरह माइण्ड मेकअप कर लिया है। बल्कि इस नाटक के विषय पर फिल्मी स्क्रिप्ट भी लिखकर तैयार कर लिया है।

इस नाटक में मैंने एक साथ कई बार सूरज और साहूकार का बख़ूबी रोल अदा किया है। हाई स्कूल तक मैंने रेग्युलर पढ़ाई की है। इसके बाद मैंने स्नातक तक पढ़ाई प्राइवेट की है। रक्षा उत्पादन से रिटायर अपने पिता जी के साथ अपने पैतृक गाँव में रहकर कई वर्षों तक खेती-किसानी करता-करवाता रहा। अपनी खुली आँखों से गाँव-गाँवों की सम-विषम परिस्थिति को, गाँव के गरीब किसानों का जीवन देखा है। वहीं से इस नाटक को लिखने की प्रेरणा मिली। जो आपके सामने प्रस्तुत है।

आर.एस. तोमर
(रामशंकर सिंह तोमर)
मो.9235764957

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